Saturday, December 6, 2008

आखिर कब तक


ज़िन्दगी में हर कोई कभी ना कभी ये ज़रूर सोचता है की आख़िर कब तलक ऐसा ही चलेगा। कुछ लोग आजकल देश की सुरक्षा के बारे में सोच रहे हैं की ऐसा कब तक चलेगा। कोई ये सोच रहा है की नौकरियों में मंदी का दौर कब तक चलेगा.भविष्य कोई नही जानता मगर बदलाव की शुरुआत ख़ुद से करनी है |
अब जब ये पक्का होगया है की सबसे पहले बदलाव स्वयम की सोच में लाना है तो अपनी सोच से ही शुरुआत करनी होगी. ये वही सोच है जो कि हमारे विचारो का निर्धारण करती है.सोच को सदैव सकारात्मक रखना है | काम आसान नहीं है ओ मुश्किल भी नहीं है..बिलकुल साएकिल चलाने की तरह , आप यदि यह काम नहीं जानते हैं तो हमेशा आपको मुश्किल लगेगा किन्तु यदि आपने सीख लिया तो आपको बहुत आसान लगने लगेगा.
यह सत्य है कि  विचार बहुत चंचल होते है और आप विचार को रोक नहीं सकते.
मेडिटेशन या ध्यान सतत अभ्यास से ही आता है. सकारात्मक रहकर आप ध्यान ज़्यादा आसानी से कर सकते हो.

4 comments:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

क्या बात है,लम्बे समय से कोई पोस्ट आपने नहीं डाली... आभारी हूं, कि आप मेरे ब्लौग पर आये.उम्मीद है, जल्दी ही आपके ब्लौग पर कुछ नया मिलेगा.

किरण राजपुरोहित नितिला said...

सही कहा आपने ।
पहले मैं से शुरु करेगें तभी बात हम पर से होते हुये हम सब और फिर सारे जहान तक पहुंचेगी ।

bairaagi said...

सबसे पहले तो देरी से उत्तर के लिए क्षमा चाहता हूं और यह देरी भी कोई छोटी-मोटी देरी नहीं है काफी लंबा अरसा हो गया है अब कोशिश कर रहा हूं अपने ब्लॉग को अपडेट करने की ।आशा है आप जल्दी ही कुछ नया नया देखने को मिलेगा

bairaagi said...

धन्यवाद आपका कॉमेंट के लिए।